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गिरिडीह में हरियाली पर जेसीबी का कहर: परिआना गांव में सड़क किनारे पेड़ों को बेरहमी से दबाया गया, प्रशासन अब तक मौन।

गिरिडीह, झारखंड:  गिरिडीह जिले के पचंबा-जमुआ मुख्य मार्ग पर स्थित मॉडल हाई स्कूल के सामने परिआना गांव में प्रकृति के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार सामने आया है। यहाँ 6 एकड़ भूमि को समतल करने के नाम पर जेसीबी मशीन से वर्षों पुराने जीवित पेड़ों को बेरहमी से जमीन में दबा दिया गया है। ये पेड़ न सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से बेहद अहम थे, बल्कि सड़क किनारे खड़े होकर गर्मी में राहगीरों को छांव और क्षेत्र को हरियाली प्रदान कर रहे थे।

 

न काटा गया, न हटाया गया—सीधे ज़मीन में दफन कर दिया गया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह समतलीकरण कार्य पिछले कुछ दिनों से जारी है। निजी ज़मीन को समतल करना सही हो सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले और सड़क किनारे खड़े दर्जनों पेड़ों को मशीन से ज़मीन में दबा दिया गया। यह एक प्रकार की “हरित हत्या” है, जो वन अधिनियम की खुली अवहेलना है।

सड़क पर भी कब्जा, पर्यावरण की भी बर्बादी का तस्वीर।

सड़क पर भी कब्जा, पर्यावरण की भी बर्बादी ग्रामीणों का आरोप है कि जिस ज़मीन को समतल किया जा रहा है, वह क्षेत्र सड़क की ज़मीन तक बढ़ा दिया गया है। यानी पेड़ ही नहीं, सार्वजनिक रास्ते पर भी अतिक्रमण किया जा रहा है।

 

प्रशासन को दी गई सूचना, अब तक कार्रवाई शून्य स्थानीय निवासियों ने इस गंभीर मामले की जानकारी वन विभाग के रेंजर को भी दे दी है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक मौके पर कोई अधिकारी निरीक्षण तक करने नहीं पहुंचे हैं।

 

प्रशासन की चुप्पी क्या इस अपराध को बढ़ावा दे रही है ?

आज जब देशभर में पेड़ लगाने के अभियान चलाए जा रहे हैं, ऐसे में गिरिडीह में जीवित पेड़ों को यूं मारा जाना चिंता की बात ही नहीं, भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। यदि प्रशासन ऐसे मामलों पर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाता, तो आगे भी इसी तरह प्रकृति के खिलाफ अपराध होते रहेंगे।

 

स्थानीय जनता की प्रशासन से सीधी अपील:

 

> “हम झारखंड सरकार और जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि:

 

1. तुरंत जांच टीम भेजी जाए।

 

2. पेड़ों को दबाने वाले दोषियों पर वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सख्त कार्रवाई की जाए।

 

3. सड़क की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए।

 

4. मौके पर जितने पेड़ दबे हुए हैं, उन्हें चिन्हित कर रेस्क्यू या पुनर्वनीकरण की व्यवस्था की जाए।

 

 

अगर आज कार्रवाई नहीं हुई तो कल यह हरियाली सिर्फ किताबों और भाषणों तक सीमित रह जाएगी।”

 

(नीचे संलग्न तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार हरे पेड़ों को मशीन से मिट्टी में दबा दिया गया है।)

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