गिरिडीह में वर्षों पुराने ज़मीन विवाद का समाधान, कोर्ट के आदेश पर पीड़ित पक्ष को मिला इंसाफ।
NO1NEWS : रिपोर्टर नवीन राज टाइगर

गिरिडीह (झारखंड): गिरिडीह जिले में वर्षों से चला आ रहा एक जटिल और संवेदनशील ज़मीन विवाद आखिरकार न्यायिक हस्तक्षेप और प्रशासन की सख़्ती के चलते सुलझ गया। यह मामला वाद संख्या 58/2025 के अंतर्गत दर्ज था, जिसमें दोनों पक्षों के बीच ज़मीन और मकान को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। अदालत में वर्षों की सुनवाई के बाद अनुमंडल न्यायालय, गिरिडीह ने 11 मार्च 2025 को अपना अंतिम निर्णय सुनाया और पीड़ित पक्ष के हक में आदेश पारित किया।
कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अनुमंडल दंडाधिकारी (एसडीओ) ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की। आदेश के अनुसार, पीड़ित परिवार को ज़मीन और मकान पर पुनः कब्जा दिलाया जाना था, जिसे दूसरे पक्ष ने ज़बरन बंद कर रखा था। बताया गया कि मकान में एक वर्ष से ताला लगा हुआ था, और पीड़ित पक्ष किसी भी तरह से अपने ही घर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था।
प्रशासन की मौजूदगी में मिला कब्जा
निर्धारित तिथि पर मजिस्ट्रेट, पुलिस बल, और राजस्व कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने पहले शांतिपूर्ण ढंग से दूसरे पक्ष से ताला खोलने का अनुरोध किया, लेकिन उनके इनकार करने पर प्रशासन ने कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए बलपूर्वक ताला तुड़वाया। इसके बाद मकान को खोलकर पीड़ित पक्ष को विधिवत कब्जा दिलाया गया।
विवाद के दौरान कई बार हुआ जानलेवा हमला
पीड़ित पक्ष ने बताया कि इस ज़मीन विवाद के कारण उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी कष्ट झेलना पड़ा। उन्होंने कई बार हमले की आशंका जताई थी और कुछ मौकों पर जानलेवा हमलों की कोशिशें भी हुईं। बावजूद इसके, उन्होंने कानून में विश्वास बनाए रखा और अंततः न्यायालय के निर्णय से उन्हें राहत मिली।
स्थानीय लोगों ने जताई संतोष की भावना
इस कार्रवाई को देखकर स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई से आम लोगों का कानून में भरोसा बढ़ता है।
रिपोर्टर की विशेष ग्राउंड रिपोर्ट
इस पूरे मामले पर हमारे स्थानीय संवाददाता नवीन राज टाइगर ने घटनास्थल से एक विशेष ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें उन्होंने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से प्रस्तुत किया है। इस रिपोर्ट में न्यायालय का आदेश, प्रशासन की कार्रवाई, और दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया को शामिल किया गया है।
निष्कर्ष:
यह मामला न केवल गिरिडीह बल्कि राज्य भर के उन सभी परिवारों के लिए एक मिसाल है जो वर्षों से ज़मीन विवादों में फंसे हुए हैं। यह साबित करता है कि अगर पीड़ित पक्ष संयम और कानूनी रास्ता अपनाए, तो देर से ही सही, लेकिन न्याय जरूर मिलता है।