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एक गाँव की बेटी ने रचा इतिहास: खुद पढ़ते हुए सैकड़ों बच्चों को शिक्षा और खेलकूद का पाठ पढ़ा रही है खुशबू

देवरी (विशेष संवाददाता):

बेटियाँ केवल चौका-चूल्हा तक सीमित हैं” — यह धारणा अब बीते समय की बात हो गई है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं देवरी क्षेत्र के एक छोटे से गाँव की बेटी खुशबू, जो न केवल खुद पढ़ाई कर रही हैं, बल्कि दर्जनों बच्चों को निशुल्क शिक्षा, योग और खेलकूद का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।

 

आज जब मैं देवरी से लौटते वक्त गाँव के बच्चों को खेल की नई विधियाँ सीखते हुए देखा, तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। सामने बहन खुशबू थीं, जो पूरी लगन से बच्चों को प्रशिक्षित कर रही थीं। सोशल मीडिया के माध्यम से मैं पहले भी उनके कार्यों से परिचित था, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से यह समर्पण देखकर मन गदगद हो उठा।

 

खुशबू ने मुझे देखकर आग्रह किया कि मैं बच्चों को अपना अनुभव साझा करूं और आशीर्वाद दूं। बच्चों के बीच बैठकर उनका उत्साह देखना एक अद्भुत अनुभव था। मैं हमेशा मानता रहा हूं कि बच्चों को रोकना नहीं चाहिए, उनका उत्साह ही समाज का भविष्य गढ़ता है।

 

खुशबू जैसी बेटियाँ समाज की असली नायिका हैं। जब आज की युवा पीढ़ी मोबाइल और सोशल मीडिया की दुनिया में उलझी है, तब खुशबू न केवल स्वयं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। वे योगाभ्यास, खेलकूद और नैतिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित कर रही हैं।

 

उनके माता-पिता और अभिभावक निस्संदेह बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने एक ऐसी सोच को जन्म दिया, जो समाज को दिशा दे रही है।

 

हमारे समाज को आज खुशबू जैसी प्रेरणादायक बेटियों की आवश्यकता है। वे न केवल बेटियों के प्रति समाज की सोच बदल रही हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक नया रास्ता भी दिखा रही हैं।

 

सादर धन्यवाद उन सभी बहनों और बेटियों को जो इस प्रयास में खुशबू के साथ हैं।

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