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धनवार की “विकास यात्रा” – डोरंडा से भलूटांड तक उबड़-खाबड़ सपनों का सफर! सड़क नहीं, झूले वाला अनुभव!

रिपोर्ट:मंटू यादव

धनवार विधानसभा अंतर्गत डोरंडा दासेडी़ह से लेकर भलूटांड गांव तक की सड़क पर अगर आप चल चुके हैं, तो आप कांवर यात्रा के लिए पहले से ही तैयार हैं। यहां की सड़कें नहीं, बल्कि “रोग टेस्टिंग लेबोरेटरी” हैं – आपकी हड्डियों में कितनी जान है, ये वहीं तय हो जाएगा!

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एक ज़माना था जब इस रास्ते को “गांव का मुख्य मार्ग” कहा जाता था, अब लोग इसे “जलजला पथ” के नाम से जानते हैं। कोई पूछ बैठे कि भलूटांड कैसे जाना है, तो जवाब मिलता है – “जाना है तो भगवान भरोसे निकलो, कोई भरोसेमंद सड़क नहीं है!”

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शासन-प्रशासन:

यहां के जनप्रतिनिधि इतने शांत हैं कि हिमालय की गुफा में साधना कर रहे योगी भी शर्मा जाएं। विधायक जी से लेकर सांसद महोदय तक सबको जैसे इस सड़क की जगह चुनावी मंच पर दिलचस्पी है – जहां बोलना है, वहीं बोलते हैं, बाक़ी समय ‘मौन व्रत’ में लीन रहते हैं।

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जनता की मजबूरी:

इस रास्ते से रोज़ हज़ारों लोग जान हथेली पर लेकर निकलते हैं। दूसरा कोई विकल्प नहीं, इसलिए “सड़क” नहीं, यह मजबूरी की ट्रैकिंग रूट बन गई है। बच्चों का स्कूल हो या बीमार का अस्पताल, सबको इन्हीं गड्ढों से होकर गुजरना है।

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ठेकेदार कौन?

इस सड़क को बनाने वाला कहां गया, कोई नहीं जानता। हो सकता है, वो ‘खो गया विकास’ के सीरियल का पहला एपिसोड था। ठेका लेकर कौन-सा ग्रह पकड़ लिया, कोई ज्योतिषी भी नहीं बता सकता।

निष्कर्ष:

ये सड़क नहीं, नेताओं की उदासीनता का आइना है। झूठे वादों की ढोल नगाड़े तो चुनाव में बजते हैं, लेकिन विकास के नाम पर जो सड़क मिलती है, वो सिर्फ “जुमला एक्सप्रेस” है – जिस पर जनता रोज़ हिचकोले खाती हुई सोचती है – “कब बदलेगा ये हाल?”

नारा बदलो, विकास लाओ – सड़क दो, वोट पाओ! 🚧🛣️

 

#जनता_पूछ_रही_है_सड़क_कब_बनेगी?

#डोरंडा_से_भलूटांड_तक_गड्ढों_का_राज

#विकास_नहीं_जुमला_हुआ_है_साबित_!_ 😠_

 

 

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