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देवरी प्रखंड के बालोसार में शुक्रवार को ‘विश्राम मोड’ पर प्राथमिक विद्यालय, बच्चों को पढ़ाई से ‘मुक्ति’

हमारे बच्चों की किस्मत अच्छी है, उन्हें बचपन से ही ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ सिखाया जा रहा है—बस पढ़ाई वाली ‘वर्क’ गायब है!"

देवरी/गिरिडीह

रिपोर्ट: चन्दन राय

देवरी प्रखंड के बालोसार गाँव का प्राथमिक विद्यालय इन दिनों पढ़ाई नहीं, बल्कि छुट्टियों का स्थायी ठिकाना बन चुका है। शुक्रवार को स्कूल बंद मिला, तो (NO1 NEWS झारखण्ड बिहार)पत्रकार ने गाँव वालों से कारण पूछा। जवाब सुनकर लोग चौंके नहीं—क्योंकि यह आम बात है। ग्रामीणों के अनुसार, “स्कूल तो लगातार नहीं चलता। जैसे ही शिक्षक को कोई निजी काम होता है, बच्चों की पढ़ाई को विराम दे दिया जाता है।”

गाँव के एक बुजुर्ग ने तंज कसते हुए कहा, “हमारे बच्चों की किस्मत अच्छी है, उन्हें बचपन से ही ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ सिखाया जा रहा है—बस पढ़ाई वाली ‘वर्क’ गायब है!”

ग्रामीणों में आक्रोश है, लेकिन स्थिति पर हँसी भी आती है कि शिक्षा के मंदिर में ताले लटकाना अब इतना सामान्य हो गया है कि किसी को आश्चर्य तक नहीं होता। अभिभावकों का कहना है कि सरकार लाख ‘शिक्षा का अधिकार’ का ढोल पीटे, लेकिन अगर शिक्षक अपनी मर्जी से स्कूल का ‘टाइमटेबल’ तय करेंगे, तो बच्चों का भविष्य घर बैठे ही उज्ज्वल हो जाएगा—कम से कम धूप और बरसात में स्कूल तक जाने की मेहनत तो बच जाएगी।

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