
गिरिडीह। खंडोली डैम को प्रदूषित करने का मामला इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय मुखिया ने मशरूम और अंडा फार्म संचालकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि फार्म से निकलने वाला गंदा पानी सीधे डैम में डाला जा रहा है। हालांकि ग्राउंड स्तर पर की गई जांच में तस्वीर कुछ और ही सामने आई है।
ग्राउंड रिपोर्ट में क्या मिला ?
नंबर वन न्यूज़ के संवाददाता नवीन कुमार ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। रिपोर्टिंग के दौरान यह पाया गया कि फार्म से डैम में किसी प्रकार का गंदा पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। डैम का पानी सामान्य स्थिति में मिला
फार्म संचालक का पक्ष
फार्म संचालक का कहना है कि स्थानीय मुखिया बीते कई महीनों से उनसे 50,000 रुपये प्रतिमाह देने का दबाव बना रहे थे। जब उन्होंने देने से इनकार किया, तभी से इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।
4 साल से संचालित हो रहा है फार्म
यह मशरूम और अंडा फार्म लगभग 4 साल से चल रहा है। निर्माण कार्य में इस्तेमाल हुई सामग्री जैसे ईंट, बालू आदि की आपूर्ति स्थानीय मुखिया के बेटे के माध्यम से हुई थी, जिसका भुगतान का बिल भी संचालक के पास मौजूद है। सवाल यह उठता है कि यदि यह अतिक्रमण या अवैध था, तो चार वर्षों तक आपत्ति क्यों नहीं की गई।
रोजगार का साधन
फार्म से सैकड़ों महिलाएं और पुरुष प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को यहां स्थायी काम मिला है। इससे उनकी आजीविका में सुधार हुआ है और परिवार को आर्थिक सहारा मिला है।
प्रशासन की जांच
फार्म से जुड़े मामलों की अब तक कई बार प्रशासनिक जांच हो चुकी है। लेकिन किसी भी जांच में डैम को प्रदूषित करने की बात सामने नहीं आई है।
निष्कर्ष
ग्राउंड जीरो से मिली जानकारी और प्रशासनिक जांचों से साफ है कि खंडोली डैम प्रदूषण का आरोप ठोस आधार पर नहीं टिकता। अब जरूरत है कि प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच कर, वसूली और दबाव की कोशिश करने वालों पर उचित कार्रवाई करे।