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प्रतीकात्मक शव यात्रा के जरिए किसानों ने जताया आक्रोश, अंचल अधिकारी का किया अंतिम संस्कार

NO1NEWS: रिपोर्टर नवीन राज टाइगर । लोकेशन तिसरी, गिरिडीह

https://youtu.be/6-Zp-8ClT0cझारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश (रिट याचिका संख्या 5925/2022) और अपर समाहर्ता गिरिडीह के पत्रांक 1854/2024 के निर्देश के बावजूद भी किसानों को रजिस्टर टू (Register-II) की सत्यापित प्रति नहीं मिलने से आक्रोशित किसानों ने रविवार को अनूठा और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया।

प्रकरण की पृष्ठभूमि:
किसानों ने कानून के अनुसार दो बार शुल्क जमा कर रजिस्टर टू की प्रति की मांग की थी, जो कि ज़मीन संबंधी महत्वपूर्ण अभिलेख है। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी उन्हें यह दस्तावेज़ नहीं सौंपा गया।
इस संदर्भ में 20 मार्च 2024 को किसानों ने सड़क जाम कर विरोध जताया था, जिसके बाद तिसरी अंचल अधिकारी ने स्वयं यह बयान दिया था कि वह जमुआ अंचल जाकर पता करेंगे कि वहां के अंचल अधिकारी ने किस तरह सत्यापित प्रति दी है, ताकि तिसरी अंचल में भी उसी प्रकार सत्यापित प्रति उपलब्ध कराई जा सके।

प्रशासनिक लापरवाही:
इस आश्वासन के बाद भी तीन सप्ताह से अधिक समय बीत गया, लेकिन अंचल अधिकारी न तो लौटे, न ही किसी प्रकार की जानकारी या समाधान सामने आया। इससे आक्रोशित किसानों ने यह मान लिया कि अंचल अधिकारी “प्रशासनिक रूप से मृत” हो चुके हैं।

प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार – एक अनोखा विरोध:
13 अप्रैल 2025 को किसानों ने प्रतीकात्मक रूप से तिसरी अंचल अधिकारी का अंतिम संस्कार किया।

पहले अंचल अधिकारी का पुतला बनाया गया।

फिर उसे पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अर्थी पर सजाया गया।

इस अर्थी को तिसरी अंचल कार्यालय से लेकर तिसरी बाज़ार तक जुलूस के रूप में निकाला गया।

शव यात्रा के दौरान प्रदर्शनकारी “तिसरी अंचल अधिकारी को नरक में स्थान दो” जैसे नारों के साथ आक्रोश प्रकट कर रहे थे।

अंत में तिसरी प्रखंड सह अंचल परिसर में पुतला दहन कर प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार किया गया।

विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले प्रमुख लोग:
इस विरोध में बड़ी संख्या में किसान एवं किसान जनता पार्टी के पदाधिकारी शामिल हुए, जिनमें प्रमुख हैं:

नीलम कुमारी (तिसरी अंचल अध्यक्ष)

भागीरथ राय (जिला महासचिव)

दासो मुर्मू (संयोजक)

अफसर खान, दहनी देवी (संस्थापक सदस्य)

खुशबू देवी, धनेश्वर तुरी, हीरामन राय, तालो हेंब्रम, रघु मुर्मू, मुन्ना टुडू, फागू राय,
मलो मरांडी, सलोनी मरांडी, विनीता किस्कू, सुनीता मरांडी, मंझली हेंब्रम, अनीता बेसरा,
जसिंता मरांडी, पानो सोरेन, गोविंद राय, मोहन राय, महेश राय, सांझली हेंब्रम,
बड़की बास्के, मनी हेंब्रम सहित सैकड़ों किसान शामिल थे।

संदेश:
यह विरोध प्रदर्शन प्रशासनिक उदासीनता और किसानों के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध एक सामाजिक चेतावनी थी। प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार के माध्यम से किसानों ने यह जताया कि यदि अधिकारी अपने कर्तव्यों से विमुख रहते हैं, तो जनता उन्हें ज़िम्मेदार मानकर सार्वजनिक स्तर पर जवाबदेही तय करेगी।

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