
रांची, झारखंड:
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) एक बार फिर विवादों में घिर गया है। हाल ही में रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को उनके पद से हटाया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई डॉ. राजकुमार द्वारा शासी परिषद की बैठक में अनुचित भुगतान आदेशों का विरोध करने और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने के कारण की गई है।
बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय सचिव की ओर से रिम्स निदेशक पर निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों को बिना अनुबंध करोड़ों रुपये का भुगतान करने का दबाव बनाया गया। निदेशक द्वारा इस दबाव का विरोध किए जाने और अपने पद से इस्तीफा देने की बात कहने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें पद से हटा दिया गया।
इस घटना ने एक बार फिर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष का आरोप है कि हेमंत सोरेन सरकार रिम्स को एक संगठित भ्रष्टाचार का अड्डा बना रही है, जहाँ ईमानदार अधिकारियों को हटाया जा रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पूर्व में भी इसी तरह की परिस्थितियों में कई निदेशकों को समय से पहले रिम्स छोड़ना पड़ा था। आलोचकों का कहना है कि यदि सरकार को शासी परिषद की सलाह माननी ही नहीं है, तो ऐसे औपचारिक निकायों को भंग कर देना ही उचित होगा।
यह मामला सिर्फ एक प्रशासनिक फेरबदल नहीं, बल्कि राज्य में स्वास्थ्य तंत्र की पारदर्शिता और ईमानदारी की अग्निपरीक्षा बन चुका है।