घोर लापरवाही से बन रही सड़क, पत्रकार को दी धमकी – ठेकेदार पर उठे सवाल।
गिरिडीह से नवीन कुमार की विशेष रिपोर्ट।

गिरिडीह जिले के लेदा पंचायत में इन दिनों सड़क निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। सरकार की ओर से ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी सुधारने और विकास को गति देने के उद्देश्य से यह कार्य शुरू किया गया है। हालांकि, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयान कर रही है। निर्माण कार्य में न केवल गुणवत्ता की अनदेखी हो रही है, बल्कि ठेकेदारों की मनमानी और प्रशासनिक नियंत्रण की कमी भी खुलकर सामने आ रही है।
https://youtu.be/TItLdtD1fdg?si=Kzvc3WLRa2enWjk8
स्थानीय समाचार चैनल नंबर वन न्यूज़ के संवाददाता जब इस निर्माणाधीन सड़क की स्थिति का जायज़ा लेने पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि सड़क निर्माण में निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। मिट्टी और गिट्टी के अनुपात से लेकर रोलिंग और लेवलिंग तक, हर स्तर पर लापरवाही साफ नज़र आ रही थी। जब संवाददाता ने इस विषय में ठेकेदार से बात करनी चाही, तो उन्हें न सिर्फ अभद्र भाषा का सामना करना पड़ा, बल्कि सीधे तौर पर धमकियाँ भी दी गईं।
फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग में साफ-साफ सुना जा सकता है कि ठेकेदार ने कहा, “आप कौन होते हैं जांच करने वाले?” इसके अलावा कई आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया गया, जो एक पत्रकार के सम्मान और उनकी भूमिका पर सीधा हमला है। यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी एक गंभीर खतरा है।
https://youtu.be/TItLdtD1fdg?si=Kzvc3WLRa2enWjk8
प्रश्न यह है कि जब एक पत्रकार, जो जनहित में काम करता है, को इस तरह की धमकियों का सामना करना पड़ता है, तो आम नागरिकों की आवाज़ कितनी सुरक्षित रह जाती है? यह स्थिति दर्शाती है कि कुछ ठेकेदारों का मनोबल इतना बढ़ चुका है कि वे जवाबदेही से ऊपर खुद को समझने लगे हैं।
अब पूरा मामला गिरिडीह प्रशासन के संज्ञान में है, और क्षेत्रवासियों के साथ-साथ पत्रकार बिरादरी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है। क्या दोषी ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी? क्या पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी? और सबसे अहम, क्या निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी रखी जाएगी?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे, लेकिन यह घटना एक चेतावनी जरूर है – विकास कार्यों के नाम पर अगर लापरवाही और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त किया गया, तो इसका खामियाजा न केवल जनता को, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी भुगतना पड़ेगा।