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ट्रैफिक जाम में घुटता गिरिडीह—कब जागेगा प्रशासन?


No1 news jharkhand bihar

गिरिडीह एक बार फिर जाम की चपेट में है—लेकिन अफसोस की बात यह है कि अब यह खबर नहीं रही, बल्कि एक आम हकीकत बन चुकी है। सोमवार को दोपहर 12 बजे के बाद शहर की मुख्य सड़कों पर ऐसा जाम लगा कि मानो शहर थम गया हो। न गर्मी की परवाह, न स्कूली बच्चों की फिक्र और न ही बीमार बुजुर्गों की चिंता—सब कुछ इस जाम में फंसकर रह गया।

इस बार की स्थिति और गंभीर इसलिए है क्योंकि पचम्बा रोड निर्माण कार्य ने हालात को और जटिल बना दिया है। शादी-ब्याह का सीजन, भारी वाहनों की बेतरतीब आवाजाही और ट्रैफिक नियंत्रण की लगभग शून्य व्यवस्था—इन सबने मिलकर गिरिडीह को बेहाल कर दिया है।

यह प्रश्न उठाना अब स्वाभाविक हो गया है कि क्या गिरिडीह में ट्रैफिक थाना सिर्फ कागज़ों में ही है? जब आमजन त्राहिमाम कर रहा हो और ट्रैफिक कर्मी बस औपचारिकता निभा रहे हों, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या हमें इस व्यवस्था की असफलता पर चुप रहना चाहिए?

हमारा लोकतंत्र जनता के विश्वास पर टिका है, और प्रशासन का काम है उस विश्वास की रक्षा करना। लेकिन जब सड़क पर आमजन पसीने में तर-बतर घंटों फंसे हों, तो यह लोकतंत्र की रीढ़—यानी प्रशासनिक जिम्मेदारी—पर सवाल खड़ा करता है।

हम “no1news jharkhand bihar”के माध्यम से जिला प्रशासन और ट्रैफिक विभाग से यह मांग करते हैं कि गिरिडीह की बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। अल्पकालिक नहीं, दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है—चाहे वह एकतरफा ट्रैफिक योजना हो, वैकल्पिक मार्ग हों, या ट्रैफिक पुलिस की जवाबदेही तय करने की ठोस व्यवस्था।

वरना वह दिन दूर नहीं जब गिरिडीह की पहचान विकास से नहीं, सिर्फ जाम से होगी। और तब प्रशासन की चुप्पी को इतिहास भी माफ नहीं करेगा।

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