गिरिडीह की लवली देवी को 230 किमी तक भटकाया गया, रांची में हुई सामान्य डिलीवरी – गिरिडीह और धनबाद अस्पताल की लापरवाही उजागर।

गिरिडीह की एक गर्भवती महिला लवली देवी को सामान्य डिलीवरी के लिए सोमवार सुबह 11 बजे गिरिडीह चेताडीह शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता के कारण उन्हें 230 किलोमीटर दूर रांची तक का सफर तय करना पड़ा। डॉक्टरों की लापरवाही और अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था ने मरीज और उसके परिवार को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से झकझोर कर रख दिया।
गिरिडीह चैताडीह अस्पताल ने शाम चार बजे लवली को धनबाद मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया, लेकिन वहां भी हालात बेहतर नहीं थे। रात 8 बजे धनबाद पहुंचने के बाद परिजनों ने देखा कि महिला वार्ड में कोई सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था। इंटर्न डॉक्टरों ने न सिर्फ भर्ती करने से मना किया, बल्कि रेफर का जरूरी कागजात भी नहीं बनाया। परिजन बार-बार गुहार लगाते रहे, लेकिन न तो मरीज को भर्ती लिया गया, न ही 108 एंबुलेंस की सुविधा मिली। अंततः रात 2:30 बजे रांची के रिम्स अस्पताल पहुंचे, जहां सुबह 3 बजे डॉक्टरों ने सामान्य डिलीवरी करवा दी। अब मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
परिजनों ने बताया कि एंबुलेंस के लिए 2500 रुपये गिरिडीह से धनबाद और 5500 रुपये धनबाद से रांची तक देने पड़े, वो भी उधार लेकर। अगर रास्ते में कोई अनहोनी हो जाती तो इसकी जवाबदेही कौन लेता?
यह मामला झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को सामने लाता है। गिरिडीह और धनबाद जैसे प्रमुख अस्पतालों में अगर सामान्य डिलीवरी तक की व्यवस्था नहीं है, तो सुपर स्पेशियलिटी की बातें सिर्फ छलावा लगती हैं। रात में सीनियर डॉक्टरों की गैरहाजिरी और इंटर्न पर निर्भर अस्पताल व्यवस्थाएं किसी भी मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।
गिरिडीह जिला प्रशासन और सिविल सर्जन से अनुरोध है कि इस मामले को संज्ञान में ले और और दोषी पाए जाने वाले डॉक्टर पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। ताकि गिरिडीह में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार हो सके और मरीजों को यहां वहां न भटकना पड़े। इससे मामले में