बिहार पुलिस में 40 साल तक फर्जी नाम से नौकरी: फुफेरे भाई के दस्तावेज से बना सिपाही, दरोगा बनकर हुआ रिटायर

पटना, बिहार – बिहार पुलिस विभाग से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने अपने फुफेरे भाई की पहचान और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर 40 वर्षों तक पुलिस सेवा में नौकरी की। हैरानी की बात यह है कि उसने सिपाही की नौकरी से शुरुआत की और फर्जी पहचान के सहारे दरोगा (सब-इंस्पेक्टर) के पद तक पदोन्नति पाकर सेवा से सेवानिवृत्त भी हो गया।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, एक ही नाम, जन्मतिथि, पता और पहचान पत्रों के आधार पर दो अलग-अलग व्यक्ति बिहार पुलिस में नियुक्त हुए और दशकों तक सेवाएं दीं। किसी भी स्तर पर दस्तावेजों की सघन जांच न होने के कारण यह फर्जीवाड़ा इतने वर्षों तक चला और विभाग को भनक तक नहीं लगी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, असली दस्तावेज एक व्यक्ति के थे, लेकिन उनका इस्तेमाल उसके फुफेरे भाई ने नौकरी के लिए किया। जब मामला सामने आया तो दस्तावेजों की तुलना में विसंगतियां पाई गईं। यह भी पाया गया कि दोनों व्यक्तियों की तस्वीरों और हस्ताक्षरों में अंतर था, लेकिन फिर भी भर्ती से लेकर रिटायरमेंट तक किसी ने जांच नहीं की।
अब यह मामला विभागीय जांच और कानूनी प्रक्रिया के दायरे में है। संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया जा रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावना है।
यह मामला न सिर्फ पुलिस विभाग में दस्तावेज सत्यापन की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि दशकों तक एक फर्जी व्यक्ति सरकारी सेवा में कैसे बना रह सकता है।
प्रशासन के सामने अब कई बड़े सवाल खड़े हैं:
इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
दस्तावेजों की जांच में लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है?
फर्जी पहचान से मिली नौकरी और वेतन की वसूली कैसे की जाएगी?