पारसनाथ में मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस।
रेलवे सुरक्षा बल व बनवासी विकास आश्रम ने बाल व्यापार के खिलाफ चलाया अभियान।

मुकेश कुमार/संवादाता NO1 NEWS jharkhand Bihar
विश्व मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस (30 जुलाई) के अवसर पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और बनवासी विकास आश्रम के संयुक्त पहल पर रेलवे सभा कक्ष, पारसनाथ में ‘बाल तस्करी’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार का उद्घाटन स्टेशन अधीक्षक अविनाश कुमार ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “बाल तस्करी और मानव तस्करी झारखंड की गंभीर समस्या है। यह एक संगठित अपराध है, जिसमें लोगों को धोखे, बल, लालच या दबाव देकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता है। तस्करी के बाद बच्चों से जबरन बाल श्रम, बंधुआ मज़दूरी, यौन शोषण, अंग व्यापार, बाल विवाह और घरेलू नौकर के रूप में काम कराया जाता है। जो बच्चे तस्करों के चंगुल में फंसते हैं, उनका बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है।”
आरपीएफ के मोहम्मद जफर खान ने कहा कि रेल पुलिस ऐसे तस्करों पर कड़ी नजर रखती है जो बच्चों को रेल मार्ग से अन्य बड़े शहरों में ले जाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल प्रशासन बनवासी विकास आश्रम और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन जैसे सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर 1 जुलाई से 30 जुलाई तक विशेष सतर्कता अभियान चला रहा था, जिसका समापन आज हुआ। हालांकि यह जागरूकता अभियान आगे भी जारी रहेगा।
बनवासी विकास आश्रम के बाल अधिकार एक्टिविस्ट सुरेश कुमार शक्ति ने कहा कि इस सेमिनार में कुली, स्टेशन दुकानदार, सफाई कर्मी, रेल कर्मचारी, ऑटो व टैक्सी चालक शामिल हुए। उन्होंने कहा, “तस्करों को पहचानने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। संदेह होने पर तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या आरपीएफ को सूचित करें। आपकी जागरूकता से बचपन को बचाया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए सख्त और शीघ्र कानूनी कार्रवाई जरूरी है। जब बाल दुर्व्यापारियों को कड़ी सजा मिलेगी, तभी उनमें कानून का भय पैदा होगा। मजबूत प्रशासनिक समन्वय और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई से बच्चों की सुरक्षा और ट्रैफिकिंग गिरोहों का खात्मा संभव है।”
कार्यक्रम में बनवासी विकास आश्रम के सामुदायिक कार्यकर्ता हीरा देवी, ओमप्रकाश वर्मा, हीरामन दास, रूपा देवी के अलावा सफाई कर्मी, कुली व रेलवे के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।